गंगेश द्विवेदी, RAIPUR. आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में कूदने वाले रायगढ़ विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी ओपी चौधरी के बारे में अमित शाह के ‘बड़ा बनाने वाले’ बयान के बाद इस बात की चर्चा छिड़ गई है कि क्या बीजेपी सरकार आने पर ओपी मुख्यमंत्री बन सकते हैं। 'द सूत्र' ने पड़ताल की तो पाया कि बीजेपी में ऐसे तो कुछ भी असंभव नहीं। मोदी-शाह की ओर से आया कोई भी आदेश या निर्देश यहां के नेता मना नहीं कर सकते, लेकिन क्या ओपी इस पद के योग्य है? इस बात की पड़ताल की तो पाया कि बीजेपी में एक धड़ा ओपी का बड़ा समर्थक है। उस धड़े का मानना है कि ओपी पूर्व आईएएस हैं, लेकिन पिछले पांच सालों में उन्होंने ग्राउंड लेवल पर वर्किंग की है। उनके टैलेंट को देखते हुए ही उनको महामंत्री का पद देने के साथ ही प्रवक्ता और पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ में भी जिम्मेदारियां दी गई। लेकिन उनकी तुलना तीन बार सत्ता संभालने वाले दिग्गजों से की जाए तो उन्हें अभी काफी अनुभव की आवश्यकता है।
अमित शाह के गुड बुक में हैं ओपी
राजनीति के जानकार मानते हैं कि ओपी चौधरी अमित शाह की गुडबुक में हैं। 2018 का चुनाव हारने के बाद पिछले चार वर्षों से डॉ. रमन सहित सीनियरों को बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने हार का जिम्मेदार मानते हुए किनारे कर रखा था। उस दौर में अमित शाह के आने-जाने से लेकर तमाम बैठकों का इंतजाम ओपी चौधरी करते थे। यहां का मोर्चा संभाल रहे केंद्रीय टीम के साथ भी उनकी अच्छी ट्यूनिंग बैठी हुई है। चुनाव से पहले कई आयोजनों की जिम्मेदारी भी ओपी को दी गई, जिन्हें ओपी ने बखूबी पूरा किया। लेकिन कांग्रेस के खिलाफ आरोपपत्र जारी करने वाले कार्यक्रम में हुई गड़बड़ी से ओपी कुछ साइड लाइन हो गए और वहीं से रमन और उनकी टीम पिक्चर में लौट आई। ओपी को खरसिया की जगह मनचाही सीट रायगढ़ से टिकट भी मिल गया है। यह भी इस बात का संकेत है कि ओपी को अब भी केंद्रीय बीजेपी हाथों हाथ ले रही है। यही वजह है कि केंद्रीय मंत्री शाह ने रोड शो के रथ से जनता को संबोधित करते हुए कहा कि जनता ओपी को विधायक बनाए, इसके बाद ओपी को बड़ा आदमी बनाने की जिम्मेदारी मेरी है।
बीजेपी के चाणक्य हैं शाह
पार्टी में पीएम मोदी के बाद शाह का ही नंबर आता है, लेकिन वे बीजेपी के चाणक्य भी कहे जाते हैं। मोदी जहां हर जगह बीजेपी का चेहरा हैं तो उसके पीछे अमित शाह का बैकअप है। मोदी की हर सभा के पहले अमित शाह पहुंचकर तैयारियों को अंतिम रूप देते हैं। यही वजह है कि शाह के किसी भी बयान को पार्टी ही नहीं पार्टी के बाहर भी कोई हल्के में नहीं लेता है। शाह किसी दूसरी पार्टी के नेता के बारे में कुछ कह दें तो भी उसे गंभीरता से लिया जाता है। माना जा रहा है कि इस बार तो उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेता के बारे में बड़ी बात कह दी है। इस वजह से बात ज्यादा ही गंभीर हो गई है।
कहीं चुनावी शगूफा तो नहीं
अमित शाह बीजेपी के चाणक्य हैं। किस जगह कौन सी बात कहनी है इससे भली-भांति परिचित हैं। ओपी के बारे में उनका बयान बेहद सधा है। ओपी को बड़ा आदमी बनाने की जिम्मेदारी लेकर उन्होंने कई कयासों को जन्म दे दिया है। लेकिन रायगढ़ में ओपी की स्थिति को देखते हुए यह सवाल भी उठने लगा है कि कहीं यह चुनावी शगूफा तो नहीं कि जिसे गंभीरता से लेकर जनता ओपी के पक्ष में एकतरफा वोट डाले। इस बात को बल अमित शाह के उन बयानों से भी मिलता है जो उन्होंने राजनांदगांव में डॉ. रमन सिंह और विष्णुदेव साय के लिए कुनकुरी में कही थी। शाह डॉ. रमन की नामांकन रैली में शामिल हुए थे और सरकार बनने पर उन्हें ही कमान देने का इशारा राजनांदगांव में किया था। अमित शाह ने कुनकुरी से बीजेपी प्रत्याशी विष्णुदेव साय के लिए प्रचार करते हुए कहा था कि आप अपने नेता को जिताएं हम उनको उस पद पर बैठाएंगे जहां आप उन्हें देखना चाहते हैं। आदिवासी समाज से विष्णुदेव साय सीएम के राइट कैंडीडेट हैं, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहने के साथ वे सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री भी रह चुके हैं।
चौतरफा घिरे हैं ओपी
रायगढ़ के चुनावी समीकरण को देखा जाए तो ओपी चौतरफा घिरे हुए हैं। रायगढ़ विधानसभा से 19 प्रत्याशी मैदान में हैं। ओपी को बाहरी बताकर बागी हुई गोपिका गुप्ता मैदान में निर्दलीय खड़ी हुई हैं। उन्हें कोलता समाज का एकतरफा समर्थन हासिल है। इस विधानसभा क्षेत्र में 40 हजार वोट इस समाज के हैं माना जा रहा है कि इस समाज के वोटों का ध्रुवीकरण गोपिका के पक्ष में होगा। हालांकि, कांग्रेस ने पांच साल निष्क्रिय रहे प्रकाश नायक को मैदान में खड़ा किया है जिसका फायदा ओपी को मिलेगा। लेकिन जेसीसीजे से पूर्व महापौर मधुबाई किन्नर की मौजूदगी बड़े उलटफेर की संभावना बनाती है। निर्दलीय शंकर लाल अग्रवाल, राधेश्याम शर्मा सामाजिक कार्यकर्ता भी मैदान में दंगल करने को है। इनके अलावा आप, बसपा, सपा, जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के प्रत्याशी का अपना वोट बैंक है जो चुनावी समीकरण को प्रभावित करेगा। उनकी नैया पार लगाने के लिए इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह सहित कई केंद्रीय मंत्रियों ने सभा और रोड शो कर माहौल पक्ष में करने का प्रयास किया है।
सीएम नहीं तो मंत्री जरूर बनेंगे
ओपी को बड़ा आदमी बनाए जाने वाले बयान को राजनीतिक विश्लेषक बहुत बड़ा मान रहे हैं। ओपी के राज्य में सरकार बनने पर सीएम ना सही पर मंत्री बनना तय माना जा रहा है। वहीं कुछ विशेषज्ञों की राय में उनके केंद्रीय राजनीति में जाने की संभावना अधिक है।